हम पक्षियों से क्या सीख सकते हैं ?

एक छोटे से गांव में, हरीश नाम का एक किसान रहता था। हरीश का एक बेटा, आरव, था जो बचपन से ही प्रकृति और पक्षियों के प्रति गहरा लगाव रखता था। वह अक्सर खेतों के पास लगे पेड़ों पर चिड़ियों के घोंसले देखता, और उनके छोटे-छोटे बच्चों को अपनी मां से उड़ने का हुनर सीखते हुए ध्यान से निहारा करता था।

एक दिन, आरव ने देखा कि एक माँ चिड़िया अपने नन्हे बच्चों को उड़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। पहले वे डरते थे, लेकिन फिर माँ के प्रोत्साहन से एक-एक कर सभी बच्चे पंख फैलाकर आसमान की ओर उड़ चले। माँ चिड़िया ने उनके पीछे उड़ने की कोशिश नहीं की, बल्कि आसमान की ओर देखते हुए, खुशी से चीं-चीं करती रही।

आरव यह दृश्य देखकर अपने पिता हरीश के पास आया और कहा, "पापा, माँ चिड़िया ने अपने बच्चों को उड़ना सिखाया, और फिर उन्हें आसमान की आजादी दे दी। हम इंसान भी ऐसा क्यों नहीं करते?"

हरीश कुछ देर चुप रहा, फिर उसने कहा, "बिलकुल सही, बेटा। कभी-कभी हम अपने बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोप देते हैं, यह सोचे बिना कि उनकी अपनी भी कुछ ख्वाहिशें होती हैं। हम चाहते हैं कि वे हमारे सपनों को पूरा करें, लेकिन असली खुशी तब होती है जब वे अपने सपनों के पंख फैलाकर उड़ते हैं।"

यह सुनकर आरव बोला, "पापा, मैं भी प्रकृति और पक्षियों का अध्ययन करना चाहता हूँ। यह मेरा सपना है।"

हरीश ने थोड़ी देर सोचा और फिर मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, बेटे। तुम्हें भी अपनी उड़ान खुद तय करने का हक है। जाओ, और अपने सपनों को जीने दो।"

उस दिन हरीश ने अपने बेटे को समझा कि जैसे पक्षी अपने बच्चों को उड़ने का मौका देते हैं, वैसे ही हमें भी अपने बच्चों को उनके सपनों की उड़ान भरने देना चाहिए। और आरव ने अपनी नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए, अपने सपनों की उड़ान भरी, जैसे चिड़िया के बच्चे नीले आसमान में उड़ान भरते हैं।

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